पद
कन्हैया तोरी बाँसुरी से मन घायल। २२
बरबस ही पग नाचते, बज उठती है पायल।। २५
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सामयिक माहिया
संजीव
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त्रिपदिक छंद।
मात्रा भार - १२-१०-१२।
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भारत के बेटे हैं
किस्मत के मारे
सड़कों पर बैठे हैं।
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गद्दार नहीं बोलो
विवश किसानों को
नेता खुद को तोलो।
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मत करो गुमान सुनो,
अहंकार छोड़ो,
जो कहें किसान सुनो।
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है कुछ दिन की सत्ता,
नेता सेवक है
है मालिक मतदाता।
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मत करना मनमानी,
झुक कर लो बातें,
टकराना नादानी।
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सब जनता सोच रही
खिसियानी बिल्ली
अब खंबा नोच रही।
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कितनों को रोकोगे?
पूरी दिल्ली में
क्या कीले ठोंकोगे?
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जनमत मत ठुकराओ
रूठी यदि जनता
कह देगी घर जाओ।
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फिर है चुनाव आना
अड़े रहे यूँ ही
निश्चित फिर पछताना।
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५-२-२०२१
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