ॐ
महाकाल की जय जय बोलो।
प्रभु-दर्शन कर पावन हो लो।।
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करे भस्म श्रंगार मनोहर, मंद मंद मुस्काते।
डम-डम डिम-डिम डमरू ध्वनि कर दूषण सभी मिटाते।।
नेह नर्मदा धार शीश पर, जग हित हेतु बहाते।
कंठ नाग-विष; सिर शशि अमृत रख जीवन जय गाते।।
सत्य-तुला पर करनी तोलो।
प्रभु महिमा गा नव रस घोलो।।
महाकाल की जय जय बोलो प्रभु-दर्शन कर पावन हो लो।।
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काम क्रोध मद त्रिपुरासुर को पल में मार भगाते।
भक्ति-भाव गह चरण शरण ले भक्त अभय हो जाते।।
रुद्र-अक्ष रुद्राक्ष हार हर बाधा दूर हटाते।
नंदी वृषभ साथ रखते फिर वन में धूनि रमाते।।
पौध लगा किस्मत पट खोलो।
वृक्ष बचाकर प्रभुप्रिय हो लो।।
महाकाल की जय जय बोलो।
प्रभु-दर्शन कर पावन हो लो।।
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अशुभ आप ले शुभ देते हर, कंकर में बस जाते।
शंका तज विश्वास अमिट रख शंकर पूजे जाते।।
क्षिप्रा मति-गति करे न आलस, संकट पर जय पाते।
जंगल में मंगल करते प्रभु, देव-दनुज यश गाते।।
अपने पाप, पुण्य कर धो लो।
सत्-शिव-सुंदर पावन हो लो।।
महाकाल की जय जय बोलो।
प्रभु-दर्शन कर पावन हो लो।।
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संजीव
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