दोस्तों सुप्रभात,
आज कल गीत, मुक्तक, ग़ज़ल चोरी के काफी आरोप लगाए जा रहें हैं, कुछ लोग किसी और कि रचना इतने आकर्षक ढंग से प्रस्तुत करते हैं कि लगता है मूल लेखन ने नहीं प्रस्तुतकर्ता ने ही वो रचना लिखी है। किसी और के भावों को चोरी कर प्रस्तुत करना , बिना उसके रचनाकार को श्रेय दिए, यकीनन अनुचित कर्म है। कविता, गीत लेखन इतना भी मुश्किल कार्य नहीं कि बिना आग पीछा सोचे किसी और कि रचनाएं मंचो से सुना दी जाए । कुछ तथाकथित बड़े नाम भी ये काम बड़ी आन बान शान से मंचों पर कर जाते है और , कुछ लोग तो और भी महान है वो तो किसी और कि रचनाएं अपने नाम से छपवा कर अपने छपास के लगाव को पूरा कर रहे हैं। तो उन सभी के लिए कुछ खास लेकर हाजिर हूँ। हालांकि इतनी ज्ञानी नहीं हूं फिर भी अपने छोटे से प्रयास को अमलीजामा पहना कुछ लिखा है कि कविता कैसे लिखे वो लोग जो किसी और के भाव चुरा कर काम चल रहे। कृपया वो ध्यान से इन बिंदुओं पर ध्यान दें और स्वयं अपनी कविता, गीत ग़ज़ल लिखे।
तो महोदय/ महोदया
अच्छी कविता लिखने के लिए आपको कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए:-
1. भावना और विचार: कविता का मूल उसकी भावना और विचार होते हैं। अपने अनुभवों, विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने का सबसे सशक्त तरीका कविता हो सकती है। जो आप महसूस करते हैं, उसे शब्दों में ढालने की कोशिश करें।
2. सादगी और स्पष्टता: कविता में कठिन शब्द ही हो ऐसा कतई जरूरी नहीं। सरल और स्पष्ट भाषा का उपयोग करें तो कविता ज्यादा लोगो तक पहुंचेगी। जटिल शब्दों की जगह भावनाओं को गहराई से व्यक्त करने वाले शब्दों का चयन करें।
3. शब्दों का चयन: शब्दों का सही चयन कविता को प्रभावी बनाता है। शब्दों में लय और ताल होना चाहिए ताकि पाठक को पढ़ते और सुनते समय कविता का अनुभव हो सके।
4. लय और छंद: हर कविता में लय जरूरी नहीं होती, लेकिन अगर आप छंदबद्ध कविता लिख रहे हैं तो लय और ताल का ख्याल रखें। इससे कविता में संगीतात्मकता आती है। और संगीत किसे पसंद नहीं आता?
5. प्रेरणा और अध्ययन: अन्य कवियों की कविताएं पढ़ें और उनसे प्रेरणा लें। इससे आपके लिखने की शैली को दिशा मिलेगी और आपकी भाषा समृद्ध होगी।
6. संवेदनशीलता और भावप्रवणता: कवि के रूप में आपको अपने आसपास के समाज, प्रकृति और मानवीय संवेदनाओं के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। इससे आपकी कविता में गहराई आएगी।
7. नए प्रयोग: कविता में नए-नए प्रयोग करने से कभी न डरें। छंद, मुक्तक, दोहा, हाइकू जैसे विभिन्न प्रकारों में लिखने की कोशिश करें।
8. पुनर्लेखन और संशोधन: पहली बार में कविता सही नहीं होती, इसलिए उसे फिर से पढ़ें और सुधार करें। शब्दों और विचारों को बार-बार परखें।
इन बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए निरंतर अभ्यास करें। अच्छी कविता धीरे-धीरे अभ्यास और संवेदनशीलता से विकसित होती है।
अंत में यहीं निवेदन है ऐसे महानुभावों से की कृपया दूसरों की रचनाएं चुरा अपनी छीछालेदर न कराएं, अपने भावों को पिरो नई रचनाएं बनाये, पढाए और सबको सुनाए। जहां मर्ज़ी को वहां छपवाए।
आज का ज्ञान समाप्त। अब चलती हूँ, दूसरा मुद्दा लाओ खोज कर सब फिर उसमें कलम से स्याही मलती हूँ।
ज्ञानेश्वरी 'सखी' सिंह
पुणे
नोट:- 26 सितम्बर 2024 रात में ही लिख रही हूं 3.48 आम पे इसलिए कृपया कोई कॉपी पेस्ट न मारे। कॉपी करने से पहले लेखन हेतु अपनी नींद भी वारे। हाँ नई तो।
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