इधर उधर
फुदकती
मन भाती
चारों ओर चहचहाती
चिरैया
आँगन में नृत्य करती
गौरैया
लगता है
शायद अब
किताबों में ही दिखेगी
अमानवीय क्रूर हाथों से
कैसे बचेगी वो ? --अम्बरीष श्रीवास्तवहिंदी कविता: "गौरैया बचाओ!!!! कोई तो आओ !!!!..........
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Ambarish. eldam sach kaha hai.
मेरे घर तो रोज आती हैं गौरय्या .....मैंने उनके लिए एक पात्र मे पानी रखा है, और नित्य चावल के कुछ दाने बिखेर देती हूँ बस ....