नाक़द्रा था जो भंवर में छोड़ गया
पानी में आपको जलता छोड़ गया
ग़ौर से इधर उधर भी तो देखिए
आप जैसे और कितने छोड़ गया
मायूस न हो मुस्कुरा कर भूल जा
एक गया , और बहुत छोड़ गया
हर शख़्स क़ाबिले ऐतबार कहाँ
एक तजर्बा ये नसीहत छोड़ गया
मायूसी के अंधेरों में उम्मीद की रौशनी फैलाना ही हमारा मिशन है।
http://mushayera.blogspot.com
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बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई स्वीकार करें ।
आपका शुक्रिया डाक्टर साहिबा !
dr.sahab aapki gazal aapke blog par kyon nahi.bahut sundar gazal hai aur shayad dosti hi vah vajah hai ki ye yahan hai.
ise vahan bhi prastut kijiye.
behatarin gazal....abhar
@ शालिनी जी ! दोस्तों के ब्लॉग तो अपने होते ही हैं । हमने तो ग़ैर कभी विरोधियों को भी न माना ।
मुशायरे पर इसे पेश करता तो आपकी प्यारी रचना नीचे सरक जाती और यह हमें मंज़ूर न था ।
आपकी सलाह पर अमल ज़रूर होगा ।
आभार !
@ अना जी ! आपका शुक्रिया ।
prayas karte rahiye likhna seekh jayenge.
इस तरह की व्यंगोक्ति से लाभ ??
बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई स्वीकार करें
सलीम तो वोसमा बिन लादेन को जनता ही नही है कि वो आतंकवादी है या क्या है ?
" एक मुस्लिन औरत अगर कहे कि मैं मंदिर में गीत गाती हूँ " तो इसके जैसे कठमुल्ले भेडिये कि तरह टूट पड़ते है |
और शिक्षाए देने लगते है धर्म की |
आप लोग भी देख पढ़ लीजिए सलीम के स्वच्छ सन्देश के ब्लॉग पर सुवारो के घर जैसी बाते |
लानत है ऐसे लोगो के ब्लॉग पर लेख लिखना | जो सलीम जैसे सोच पर थूकता हो| लेख पढ़िए सलीम के स्वच्छ सन्देश के ब्लॉग पर सुअरो जैसे लेख|