इसीलिए मरता न रावण
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आया फिर है आज दशहरा . मिला राम को जीत का सेहरा;
कहते है जीती अच्छाई , हुई पराजित आज बुराई;
दोषी था क्या इतना रावण ?, क्या था राम से वैर का कारण ?
अपमानित हुई उसकी बहना ,मुश्किल था इस दंश को सहना;
उसने राम को था ललकारा ,दाँव लगाया साम्राज्य सारा ;
काश ! विभीषण वहां न होता . रावण का यह हश्र न होता
यद्यपि सीता हरण हुआ ,कभी न सीता को उसने छुआ ;
रही सुरक्षित सीता वन में ,त्रिजटा जैसी सेविका संग में ;
क्या बहनों का गर्व न रावण ? दिखे बुराई का क्यों कारण?
सीता ने दी अग्नि परीक्षा ; ग्रहण राम से करे क्या शिक्षा;
राजा राम थे बिलकुल बच्चे ? या थे पूरे कान के कच्चे;
सीता लिए मिलन की आस , मिला उसे पति से वनवास;
शासक करता है मनमानी , रामराज्य कल्पना बेमानी?
लिखता है विजेता इतिहास , उड़ता पराजित का परिहास .
लोकतंत्र में अब हम रहते , जिसे विवेक का शासन कहते ;
न्याय, व्यवस्था का आधार , हो न किसी पर अत्याचार .
रावण था क्या वाकई मुलजिम ? करे विचार सभी प्रबुद्ध जन;
इसीलिए मरता न रावण , प्रतिवर्ष पूछे अन्याय का कारण ;
काश देश में ऐसा होवे , सच्चाई का मान न खोवे ,
शासक बने जन उत्तरदायी , बने परिवेश अति सुखदायी ,
आये प्रतिवर्ष विजयादशमी , पर न बनायें इसको रस्मी .
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आया फिर है आज दशहरा . मिला राम को जीत का सेहरा;
कहते है जीती अच्छाई , हुई पराजित आज बुराई;
दोषी था क्या इतना रावण ?, क्या था राम से वैर का कारण ?
अपमानित हुई उसकी बहना ,मुश्किल था इस दंश को सहना;
उसने राम को था ललकारा ,दाँव लगाया साम्राज्य सारा ;
काश ! विभीषण वहां न होता . रावण का यह हश्र न होता
यद्यपि सीता हरण हुआ ,कभी न सीता को उसने छुआ ;
रही सुरक्षित सीता वन में ,त्रिजटा जैसी सेविका संग में ;
क्या बहनों का गर्व न रावण ? दिखे बुराई का क्यों कारण?
सीता ने दी अग्नि परीक्षा ; ग्रहण राम से करे क्या शिक्षा;
राजा राम थे बिलकुल बच्चे ? या थे पूरे कान के कच्चे;
सीता लिए मिलन की आस , मिला उसे पति से वनवास;
शासक करता है मनमानी , रामराज्य कल्पना बेमानी?
लिखता है विजेता इतिहास , उड़ता पराजित का परिहास .
लोकतंत्र में अब हम रहते , जिसे विवेक का शासन कहते ;
न्याय, व्यवस्था का आधार , हो न किसी पर अत्याचार .
रावण था क्या वाकई मुलजिम ? करे विचार सभी प्रबुद्ध जन;
इसीलिए मरता न रावण , प्रतिवर्ष पूछे अन्याय का कारण ;
काश देश में ऐसा होवे , सच्चाई का मान न खोवे ,
शासक बने जन उत्तरदायी , बने परिवेश अति सुखदायी ,
आये प्रतिवर्ष विजयादशमी , पर न बनायें इसको रस्मी .
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