LBA के सदस्य-गण व पाठक-गण को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाओं सहित धन्यवाद कि वे LBA में अपनी निष्ठां बनाये रखे. मैंने जब इस संगठन का निर्माण किया था तो मुझे एक बात का यक़ीन था कि यह ब्लॉग हिन्दी भाषा के विकास, सार्थक सामाजिक सोच को बढ़ावा देगा और अभी तक यह काम हम LBA के माध्यम से ब्लॉग-जगत में सक्रीय होते हुए बख़ूबी निभा रहे है और आशा है कि आगे भी निभाते रहेंगे.
मैं स्वयं इस ब्लॉग बल्कि पूरे ब्लॉग-जगत में लगभग निष्क्रिय ही था और मुझे पुनः वापिस आने पर मजबूर होना पड़ा अध्यक्ष महोदय जनाब रविन्द्र प्रभात जी की शिकायत पर कि इस परिवार के कुछ सदस्य कुछ ऐसी पोस्ट लिख रहे है जो कुछ मायने में सही नहीं है इसलिए मुझे पुनः आना पड़ा कि आख़िर माजरा क्या है? मैं आप सबका ज़्यादा वक़्त अर्बाद न करते हुए इस पोस्ट के शीर्षक के मद्दे-नज़र अपनी कहना चाहता हूँ कि पिछले कुछ दिनों से कुछ ऐसी पोस्ट कुछ लोग कर रहे हैं जो यक़ीनन परिवार में कुछ दरार डाल रही हो सकती है, ऐसा कहते हुए मेरे पास फ़ोन आने शुरू हुए तो मुझे ये पोस्ट लिखनी पड़ी. इस पोस्ट के द्वारा मैं माननीय अध्यक्ष जी और पधाधिकारी-गण से ये कहना चाहता हूँ कि अगर वे निम्न बातों का ध्यान दे कभी भी LBA परिवार में किसी भी तरह का न कोई विवाद होगा और न ही कोई परेशानी :::
LBA (लखनऊ ब्लॉगर्स एसोशिएशन) का संविधान, मार्ग-दर्शक नीति नियम का लागू होना
माननीय अध्यक्ष महोदय जनाब रविन्द्र प्रभात जी ने मुझे फ़ोन करके ब्लॉग की उक्त स्थिति से अवगत कराया और अपनी आपत्ति जताई, जहाँ तक मेरा मानना है उनकी आपत्ति कई मुद्दों पर जायज़ है और इसके निदान के लिए मैं यह काम अध्यक्ष महोदय को सौपना चाहता हूँ और कहना चाहता हूँ कि जितनी जल्दी हो सके LBA की मार्ग-दर्शक नियमावली बनायें और उसे सभी सदस्यों को मेल कर दें और साथ ही साथ पोस्ट भी डाल दें. कुछ समय उपरान्त उसे इस ब्लॉग के सबसे ऊपर उस नियमावली को अनुकूलित करके विज़ेट के रूप में लगा दें, इस नियमवाली का प्रभाव समान रूप से सब पर लागू होगा फ़िर चाहे वो संयोजक हों, अध्यक्ष महोदय हों या फ़िर LBA के पदाधिकारी अथवा एक आम सदस्य.
कौन सा परिवार विवादित नहीं है, किस पेड़ में हवा नहीं लगी
जैसा कि पिछले दिनों जो विवाद हो रहा था उसमें दो सदस्यों डॉ अनवर जमाल साहब और डॉ श्याम सुन्दर जी को हटाने की बात चल रही थी जिसमें मेरी सहमति की अनुमति मांगी गई थी लेकिन मेरा सोचना है कि किसी को निकाल देना किसी समस्या का हल नहीं है. डॉ श्याम सुन्दर जी ने भी स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि वे दोनों लड़ नहीं रहे थे बल्कि सार्थक बहस कर रहे थे. BJP के नेता जसवंत सिंह को जिन्ना की तारीफ़ के बावजूद गले लगा लिया. सभी लेख का गहन अध्यन करने पर पाया कि उक्त दोनों सदस्य के साथ साथ कई और सदस्य जो कि पदाधिकारी भी है, ने उसी पैटर्न पर लेख लखे हैं. इस तरह से हम किस-किस को निकालते रहेंगे. और हम लोग कोई नेता नहीं है किसी को निकाल दें फ़िर वापिस पार्टी में बुला लें...!
डॉ हड़ताल पर जाते है जिसके चलते मरीजों की जान तक चली जातीं हैं
सरकारी अस्पताल के डॉक्टर्स हड़ताल पर जाते हैं और अपने फ़र्ज़ को दर-किनार करते हुए मरीज़ को देखते नहीं न ही उनका इलाज करते हैं और जिंदाबाद-मुर्दाबाद के नारे अपने जायज़ अथवा नाजायज़ मांग को पूरा करवाने के लिए अस्पताल के बाहर इकट्ठे रहते हैं. उनके इस कृत्य से मरीजों की जाने तक चली जाती हैं, फ़िर भी उन्हें नौकरी से निकाला नहीं जाता.
दायरे में रह कर प्रश्न पूछना संवैधानिक अधिकार की श्रेणी में आता है
जब हम LBA कि नियमावली बना लेंगे तो हम अपने सदस्यों अथवा पाठकों को उनके जायज़ प्रश्न को पूछने का भी मौक़ा देंगे और अगर कोई इस नियम का नाजायज़ फायेदा उठाएगा तो प्रथम दृष्टया उसे नज़र अंदाज़ कर देंगे तदुपरांत उसे चेतावनी देते हुए समझायेंगे यदि फ़िर भी न मानेगा तो एक बैठक बुला कर उस पर निर्णय लिया जायेगा जिसे अध्यक्ष महोदय के द्वारा लागू कर दिया जायेगा. इसी के साथ मैं डॉ अनवर जमाल साहब और डॉ श्याम सुन्दर जी से ये कहना चाहता हूँ कि वे नरमी बरते और ख़ास कर मैं डॉ अनवर जमाल साहब को फ़ोन करके उन्हें नरमी बरतने की सलाह दूंगा.
वर्तमान में LBA पर पाठक और टिपण्णी संख्या में इज़ाफा हुआ है
यह एक अच्छा संकेत है कि LBA पर इन दिनों पाठक और टिपण्णी संख्या में इज़ाफा हुआ है जिसके लिए मैं अध्यक्ष महोदय को बधाई देता हूँ कि उन्होंने LBA पर काफ़ी मेहनत की है और उम्मीद करता हूँ कि वे वैचारिक सुदृढ़ता, हिन्दी भाषा के विकास में योगदान करेंगे और पूर्वाग्रह नियोजित मानसिकता का नाश करेंगे.
नतीजा
LBA की नियमावली लागू होते ही न कोई विवाद होगा और न ही किसी तरह की कोई परेशानी होगी. जैसा कि मैंने पहले ही कहा कि इस नियमवाली का प्रभाव समान रूप से सब पर लागू होगा फ़िर चाहे वो संयोजक हों, अध्यक्ष महोदय हों या फ़िर LBA के पदाधिकारी अथवा एक आम सदस्य. ग़लती की सज़ा पद अथवा पॉवर देख कर न लेते हुए एक समान आचार संहिता के तहत सब बराबर एक ही नज़र से देखे जायेंगे न कि मुग़ले-आज़म की तरह "शहंशाह कि ज़ुबान से निकला हर लफ्ज़ इन्साफ़ होता है'.
इसी आशा के साथ !
आप सबका
सलीम ख़ान
संयोजक, LBA
अच्छी बात कही है आपने सलीम भाई,
लोकतंत्र में हर किसी को अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता होती है, किन्तु संस्थागत नियम से ऊपर कोई नहीं होता, अध्यक्ष अथवा संयोजक भी नहीं ....वहीँ अनुशासनहीनता किसी भी परिप्रेक्ष्य में जायज नहीं है, इस बात का ध्यान रखा जाए तबतक जबतक नियमावली बनकर तैयार नहीं हो जाती......मैं शीघ्र ही इस दिशा में समस्त पदाधिकारियों और कार्यकारणी की बैठक बुलाकर संविधान समिति का गठन कर दे रहा हूँ ,जो नियमावली तैयार कर कार्यकारणी के समक्ष रखेंगे और इस नियमावली को आगामी मार्च-अप्रैल में लखनऊ अथवा बाराबंकी में होने वाले वार्षिक अधिवेशन में सर्वसम्मति से लागू कर दिया जाएगा !
शुभकामनाओं के साथ
achhi pahal.....pathkon ko bhi.....pachane ki sakti badhani paregi.......aur ye gali-galouz jo bhi karta hai.....o jyda bura karta hai......
salam....
गाली-गलौज तो प्रथम दृष्टया अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है और मैंने कई पोस्ट में डा अनवर जमाल को अध्यक्ष के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए पढ़ा है, जो संस्था के सर्वोच्च पद पर आसीन व्यक्तियों का सम्मान नहीं कर सकता उसे संस्था में रहने का कोई अधिकार नहीं है, डा अनवर जमाल को इसके लिए अविलंब बाहर का रास्ता दिखा देना चाहिए था, क्योंकि एक गन्दी मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है !
Zakir Bhai, I respect your openion. I am watching all the matters.
Let me give the link of Dr. Anwar Jamal post for the same.
Your Younger Brother,
Saleem KHAN
Founder, LBA
manniy sadasygan ji,
apas mein kisi bhi tarike se asansadiy va vyaktigat kastkarak shabdon se bachna chahiye. adhyaksh upadhyaksh ya koi bhi padadhikaari k sambandh mein aachep poorn baat likhna nindaniy hota hai ek arab se adhik abaadi vaale desh mein ham kuch log asiyai samaaj ki visheshtayein chhod kar nahi reh sakte hain. sab niyam kanoon kayde se nahi hota hai ham sabko ek dusare k upar paraspar vishvas k adhaar par lekhan karna chahiye. vicharon se sehmat va ashmat hona alag baat hai lekin apne baap ko saale likhna shobhniy nahi hota hai
suman
अध्यक्ष महोदय, सलीम भाई, जाकिर भाई,
आपके विचार अपनी जगह बिल्कुल उचित हैं लेकिन हमें अपने घर में जो आचार संहिता लागू करनी है , उसका उल्लंघन करने का अधिकार किसी को नहीं होना चाहिए. ये साझा मंच प्रबुद्ध लोगों का है और इस पर डाली गयी हर पोस्ट जन, राष्ट्र और ब्लॉग जगत के हित में होनी चाहिए. हमारी प्रस्तुति एक सकारात्मक सन्देश देने वाली होनी चाहिए. आक्षेप जैसे चीज चाहे वह मानव पर लगाया जाए या फिर किसी के विश्वास पर निंदनीय है. विवाद और वैमनस्य बढ़ाने वाले लेखो के प्रति जिम्मिदर लोगों के लिए कुछ दंड -- कुछ हफ्तों के लिए पोस्ट न डाल पाने का प्रतिबन्ध लगाना सबसे बड़ा उपाय हो सकता है.
सलीम भाई, जाकिर जी, सुमन जी,रेखा जी
इस विषय पर शीघ्र ही कोई ठोस निर्णय ले लिया जाएगा, क्योंकि सर्वसम्मति से लिया गया निर्णय संस्था हित में होता है...मैं आप सभी को विशवास दिलाता हूँ की इस निर्णय में आप सभी की भावनाओं का ख्याल रखा जाएगा, आप सभी का पुन: आभार !
नियमवाली का प्रभाव समान रूप से सब पर लागू होगा फ़िर चाहे वो संयोजक हों, अध्यक्ष महोदय हों या फ़िर LBA के पदाधिकारी अथवा एक आम सदस्य. ग़लती की सज़ा पद अथवा पॉवर देख कर न लेते हुए एक समान आचार संहिता के तहत सब बराबर एक ही नज़र से देखे जायेंगे न कि मुग़ले-आज़म की तरह "शहंशाह कि ज़ुबान से निकला हर लफ्ज़ इन्साफ़ होता है'
माननीय अध्यक्ष महोदय जनाब रविन्द्र प्रभात जी,
उम्मीद है, शायद सब कुछ इस नियम के लागू होने पर ठीक हो जाये।
सारे विवादो पर विराम लग जाये । और हरीश भाई को बार बार जमाल जनाब से माफी मागने की जरुरत न पडे और हरीश जी का नाम जमाल जी के पोस्ट मे न दिखने को मिले । शायद जमाल साहब अपने उत्तेजित लेखो पर नियंत्रण कर ले,और अपने लेख जो धर्म से सम्बन्धित होते थे उससे अलग लेख से हमें रुबरु करायेगें।
डाक्टर्स का उदाहरण खूब दिया----पोस्ट लिखना कोई नौकरी थोडे ही है....
---नियम तो सदा का ही लागू है..सार्वभौम नियम कि...अभद्र भाषा का प्रयोग नहीं होना चाहिये.....
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार सबको है किन्तु स्वतंत्रता वही तक सही है जब किसी दूसरे की स्वतंत्रता प्रभावित न हो . यह संगठन प्रबुद्ध लोंगो का संगठन है. इसलिए ऐसी कोई बात नहीं होनी चाहिए जिससे किसी के धर्म को ठेस पहुंचे.हर धर्म में कोई न कोई कमियां होती हैं. क्योंकि उनके नियम कानून तब बने थे जब लोग इतने आधुनिक नहीं थे. समय के साथ लोंगो की सोच बदल जाती है. अच्छा होगा हम लोग दूसरे की कमियों को ढूँढने के बजाय उनमे अच्छाईया ढूंढें, जो बाते समाज के हित में हो, मानवता के हित में हो वही बाते ठीक है. एल बी ए एक परिवार है और हम सभी उसके सदस्य है. सभी की जिम्मेदारी बराबर है. परिवार के मान सम्मान का दायित्व पर्त्येक सदस्य पर होता है. यदि घर का एक व्यक्ति गलत हो जाय तो परिवार के मुखिया का दायित्व है की उसे सुधारने का भरसक प्रयास करे. हमारे हाथ या पैर पर फोड़ा हो जाता है तो उसका हम इलाज करते है. अपने अंग को काट कर निकाल नहीं देते तब तक जब वह आवश्यक न हो जाय. इस विवाद की असली जड़ मैं स्वयं को मानता हू, विवाद की शुरुआत मुझसे हुयी थी लेकिन क्यों? यह भी सोचना होगा. किसी भी धर्म के बारे में टिप्पणिया मुझे अच्छी नहीं नहीं लगती. समाज में जो बुरे लोग हैं उनका काम ही बुरा करना होता है. एक आतंकवादी जब किसी जगह बम विस्फोट करता है तो उसमे मरने वाले आम इन्सान होते है. बम यह नहीं देखता है की हिन्दू ने फेंका तो मुसलमान को मारे और मुसलमान ने फेंका तो हिन्दू को मारे . जो दहसत गर्द है वे वे सिर्फ दहशत गर्द है उनकी कोई जाती कोई धर्म नहीं होता. लेकिन यहाँ पर कुछ लोंगो ने उसे धर्म से जोड़ना शुरू कर दिया और राजनीतिज्ञों की तरह बयान बाजी करने लगे जो सर्वथा अनुचित था. मेरी बात अनवर भाई को बुरी लगी थी लिहाजा मैंने उनसे माफ़ी भी मांगी. बेमतलब इस मामले में डॉ. श्याम गुप्ता जी घसीटा गया. और उन्हें इतने पर भी संतोष नहीं हुआ तो. मिथिलेश जी और अध्यक्ष जी तथा सलीम भाई पर भी आरोप लगाने लगे. और वह भी ललकारने के अंदाज़ में जो सर्वथा अनुचित था. बार-बार हिन्दू मुसलमान की बात करके आपस में फूट डालने का भी प्रयाश किया जो नितांत अनुचित कार्य है. हम चाहे हिन्दू हो या मुसलमान उससे पहले हम सभी भारतीय हैं और इस बात का ख्याल सभी को रखना होगा. हम सभी धर्म के दायरे से बंधे हैं लिहाजा लिहा खुद को कोई भी उस दायरे से अलग नहीं कर सकता. धर्म पर लिखने से रोक लगे किन्तु वही बाते जिसमे विवाद हो. अपने धर्म की अच्छाइयों को सभी को लिखने की छूट देनी चाहिए ताकि हम एक दूसरे के बारे में जो अच्छी बाते है उसे जान सके और यह बिना किसी को नीचा दिखाए भी हो सकता है.
ब्लॉग के संयोजक सलीम भाई से एक अनुरोध और है बल्कि सभी पदाधिकारियों से है कोई भी निर्णय लेने से पहले एक बार अवश्य विचार करे, सबकी मनसिकता एक बराबर नहीं होती, कुछ लोंगो को कुछ बाते जल्दी समझ में आ जाती है और वे स्वयं अपनी भूल का एहसास कर लेते है जबकि कुछ लोग बच्चे की जिद करके बैठ जाते है और वही काम अनवर भाई ने किए, जिस प्रकरण का पटाक्षेप बहुत पहले हो जाना चाहिए था वह आज तक चल रहा है, जो किसी भी मायने में ठीक नहीं है., एक पोस्ट अभी मैंने देखी अनवर भाई की जो वंदना जी की खता माफ़ करवा रहे है.
मेरे सुझाव........
-- यदि किसी के पोस्ट पर किसी को आपत्ति है तो उसे टिप्पणी में ही व्यक्त करे पोस्ट लिखकर नहीं.
-- भूल सभी से होती है, उसका सुझाव टिप्पणी के माध्यम से भी हो सकता है, पोस्ट का माध्यम अनुचित लगता है, यह स्वयं की खुन्नस निकलने जैसा लगता है. जो आवागमन करने वाले पाठको को भी बुरा लगता होगा.
---- विवादित लेखनी से परहेज करे.
--- यदि धर्म के बारे में लिखना है तो लिखने दिया जाय, क्योंकि सभी धर्मो की अच्छी बाते जानने का हक़ सभी को है. इससे ज्ञानवर्धन ही होगा.
--- इश निंदा अच्छी बात नहीं है. लिहाजा किसी भी धर्म की बुराई करके अपने धर्म को बड़ा न बताया जाय. हम अच्छे है यह कहना तो ठीक है लेकिन दुसरे बुरे हैं इसका निर्धारण करने का अधिकार किसी को भी नहीं है. " बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोई........ यह दोहा तो सभी ने पढ़ा होगा तो पालन भी करे.
--- टिप्पणी करने के दौरान अभद्र भाषा गाली गलौज का प्रयोग कदापि न करे.
--- सबसे महत्वपूर्ण बात हो सके तो बेनामी टिप्पणियों पर रोक लगाये. ऐसी टिप्पणी लोग पोस्ट न कर सके, यदि यह संभव नहीं तो उसे डिलेट कर दे, छुपे हुए दुश्मनों से देश परेशान है. और ऐसे लोग ब्लॉग में भी घुस आये है. जो अनुचित है. छुपकर किसी को गाली देना भी आतंकवाद है.
बाकी जो सबका निर्णय वही हमारा भी.
वन्दे मातरम......... जय हिंद.
.हर धर्म में कोई न कोई कमियां होती हैं ???
@ खबरदार हरीश जी ! अगर आप ने हर धर्म में कमी बताई .
इस बात पर जब बहस ही नहीं हुई तो आप सार्वजनिक मंच से यह क्यों कह रहे हैं कि हर धर्म में कमियाँ होती हैं ?
मैं न हिन्दू धर्म में कमी मानता हूँ और न ही इस्लाम में . अलबत्ता आप अपने निजी नज़रिए में कमी बताएं तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है .
ऋषि ज्ञानी थे और पवित्र भी . उन पर ईश्वर का ज्ञान अवतरित हुआ था लिहाज़ा ग़लती कि कोई गुंजाईश ही नहीं है , कोई कमी न कल थी और न ही आज है .
हिन्दू धर्म कि तरफ से भी मेरा यही कथन है और इस्लाम कि तरफ से भी . धर्म के बारे में यहाँ जब भी कोई statement दिया जायेगा , बहस शुरू हो जाएगी .
इसका ध्यान ज़रूर रखें .
http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/01/truth-about-great-rishies-part-second.html
@ हरीश जी ! आपकी बात से हमारी भावनाएं आहत हो रही हैं .
http://commentsgarden.blogspot.com/2011/01/foolproof-dharma.html
क्यों ख़बरदार करके डरा रहे है भाई, मेरे कहने का तात्पर्य वही था, धर्म या धार्मिक शाश्त्रो में कमी की बात नहीं कर रहा हू. बल्कि बदलते ज़माने के साथ नजरिये की बात ही कर रहा हू. कितने लोग है जो अपने धर्म शाश्त्रो के बताये मार्ग पर चल रहे है यह आप भी जानते हैं है हम भी. यदि ऐसा नहीं होता तो शराब का व्यापर करोडो में नहीं होता, कौन धर्म बताता है शराब पीना, नसीमुद्दीन सिद्दीकी आबकारी मंत्री नहीं होते [ ऐसी तमाम बाते है] आपने जो कहा वही सही है बात नजरिये की ही है. मेरा कहने का मतलब वही था, जिसके लिए चेतावनी दी आपने. जो बाते आपको बुरी लगी, वह किसी और को बुरी न लगे लिहाजा बुरी लगने वाली बात मैं वापस लेता हू. अब तो खुश हो जाओ भाई जान गुस्सा थूक दो मेरे भाई ..........अरे एक बात तो कहना भूल ही गया. सरसों के खेत में आपका इतना प्यारा फोटो भी नहीं दीखता क्यों........... अब इतने समझदार तो आप है ही........
आपकी भावनाए जब भी आहत हो उसे आपको माफ़ करना ही पड़ेगा क्योंकि . क्षमा बणन को चाहिए छोटन को उत्पात और आप हमें मंदबुद्धि तो पहले ही कह चुके है. अब धीरे ज्ञानवर्धन होगा भाईजान. अब एक साथ सबकुछ कैसे सीख जाऊ
क्या बात है ?
सरसों के खेत के पीले फूलों की तरह आप तो एकदम से ही क्षमा से , करुणा से भर उठे हैं .
लगता है कि मालिक ने हमारी सुन ली है . आप जितना चाहे उत्पात मचाइए लेकिन मेरे चर्चाशाली मंच पर आकर क्योंकि यहाँ का क़ानून अलग है .
यह लोग आपको उत्पात मचाने नहीं देंगे .
देखो हमारे आने के बाद से आपके एलबीए की पोस्ट पर टिप्पणियां भी आने लगीं वरना हमारी पोस्ट 'वर्चुअल कम्युनलिज्म' से पहले की अपनी सब पोस्ट्स उठाकर देख लीजिये , लेकिन कौन है जो हमारा शुक्रिया अदा करे ?
टिप्पणियों के लिए सलीम जी ने भी शुक्रिया हमें अदा नहीं किया , जिसकी वजह से टिप्पणियाँ आने लगीं हैं .
अब मैं कुछ दिन शांत होकर बैठूँगा और फिर आप देखना कितनी टिप्पणियां आपको मिलती हैं .
टिप्पणियों का गणित कुछ और ही है बन्धु .
आप सभी का आभार इस स्वस्थ और सार्थक चर्चा के लिए , आप सभी से यही अपेक्षा है की आपस में सद्भावना का माहौल बनाए रखें और किसी भी परिस्थिति में असंसदीय भाषा का प्रयोग न करें .....किसी पोस्ट के विरुद्ध पोस्ट प्रकाशित न करें, कोशिश करें की कॉमेंट बक्से में ही आपकी प्रतिक्रया प्रकाशित हो , निश्चित रूप से ऐसा करने पर एक स्वस्थ परंपरा का निर्माण होगा !
AGREE WITH Hon. Prez.