शांति के लिए वेद कुरआन The absolute peace
कहीं दूर एक हरे-भरे टीले पर उगते हुए सूरज की किरणें पड़ रही हैं और हरियाली के बीच बैठा हुआ एक छोटा सा बच्चा गाय़त्री मंत्र पढ़ रहा है-
‘ओउम् भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।‘
सफ़ेद धोती कुरते में एक आचार्य उसके सामने ऊंचाई पर ज्ञानमुद्रा में ध्यानमग्न स्थिति में बैठा हुआ है। वह गायत्री की स्वरलहरियों में गहरा ग़ोता लगाये हुए है।
बच्चा अपनी सुरीली आवाज़ में गायत्री का भावार्थ भी दोहरा रहा है-‘उस प्रकाशस्वरूप परमेश्वर का वरण करते हैं और उस देव की महिमा का ध्यान करते हैं जो हमारे पापों को नष्ट करके हमारी बुद्धियों को सन्मार्ग की प्रेरणा देता है।
वाटिका के मनोहारी माहौल में देवताओं की सी मोहिनी आवाज़ में गायत्री मंत्र का उच्चारण और श्रवण दोनों ही धरती पर स्वर्ग का साक्षात्कार करा रहे हैं।
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‘ओउम् भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।‘
सफ़ेद धोती कुरते में एक आचार्य उसके सामने ऊंचाई पर ज्ञानमुद्रा में ध्यानमग्न स्थिति में बैठा हुआ है। वह गायत्री की स्वरलहरियों में गहरा ग़ोता लगाये हुए है।
बच्चा अपनी सुरीली आवाज़ में गायत्री का भावार्थ भी दोहरा रहा है-‘उस प्रकाशस्वरूप परमेश्वर का वरण करते हैं और उस देव की महिमा का ध्यान करते हैं जो हमारे पापों को नष्ट करके हमारी बुद्धियों को सन्मार्ग की प्रेरणा देता है।
वाटिका के मनोहारी माहौल में देवताओं की सी मोहिनी आवाज़ में गायत्री मंत्र का उच्चारण और श्रवण दोनों ही धरती पर स्वर्ग का साक्षात्कार करा रहे हैं।