
बाल गीत, भारत -माता...डा श्याम गुप्त....
जिस भू पर हमने जन्म लिया,
वह वीर-प्रसू है कहलाती ।
सदा धान्य-धन से पूरित यह ,
शश्य-श्यामला भूमि सुहाती ।|
वेद -उपनिषद और पुराणों,
की पावन वाणी से सिन्चित ।
वाल्मीकि और कालिदास की,
काव्य सुरभि इसको महकाए |
तुलसी मीरा सूरदास के,
भजनों की लहरी मन भाये ||
कटि-मेखला बना विन्ध्याचल,
वह सुन्दरवन औ थर मरुथल ||
हिमवान स्वयं है शुभ्र मुकुट,
है रज़त छटा सी छहराती |
वह स्वर्ण मुकुट बन जाता है,
जब दिनकर की आभा छाती ||
केसर की क्यारी काश्मीर,
चहुँ और महक बिखराती है |
चन्दन वन की मलयज समीर,
सब तन मन को महकाती है ||
इस पावन भू पर जन्म मिले,
देवी- देवता तरसते हैं |
है शत शत बार नमन बच्चो !
हम भारत माता कहते हैं ||
वह वीर-प्रसू है कहलाती ।
सदा धान्य-धन से पूरित यह ,
शश्य-श्यामला भूमि सुहाती ।|
वेद -उपनिषद और पुराणों,
की पावन वाणी से सिन्चित ।
राम-कृष्ण माँ सीता-राधा,
दुर्गा,शिव-लीला से मंडित ||
काव्य सुरभि इसको महकाए |
तुलसी मीरा सूरदास के,
भजनों की लहरी मन भाये ||
सागर पैर पखारे इसके,
गंगा-जमुना हैं दिव्यहार |कटि-मेखला बना विन्ध्याचल,
वह सुन्दरवन औ थर मरुथल ||
हिमवान स्वयं है शुभ्र मुकुट,
है रज़त छटा सी छहराती |
वह स्वर्ण मुकुट बन जाता है,
जब दिनकर की आभा छाती ||
केसर की क्यारी काश्मीर,
चहुँ और महक बिखराती है |
चन्दन वन की मलयज समीर,
सब तन मन को महकाती है ||
इस पावन भू पर जन्म मिले,
देवी- देवता तरसते हैं |
है शत शत बार नमन बच्चो !
हम भारत माता कहते हैं ||