
डा श्याम गुप्त का एक पद---
नारी सब जग तेरी छाया।
सारे जग का प्रेम औ ममता तेरे मन ही समाया।
तेरी प्रीति की रीति ही तो है जग की छाया माया।
ममता रूपी माँ के पग, तल सारा जगत सुहाया।
प्रेम की सुन्दर नीति बनी तो जग में प्यार बसाया।
भगिनी -पुत्री विविधि रूप बन जग-संसार रचाया।
आदिशक्ति सरस्वती औ गौरी, लक्ष्मी रूप सजाया।
राधा बन, कान्हा को नचाये, सारा जगत नचाया।
श्याम,कामिनी,सखी,प्रिया,प्रेयसि बन मन भरमाया॥
नारी सब जग तेरी छाया॥
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सारे जग का प्रेम औ ममता तेरे मन ही समाया।
तेरी प्रीति की रीति ही तो है जग की छाया माया।
ममता रूपी माँ के पग, तल सारा जगत सुहाया।
प्रेम की सुन्दर नीति बनी तो जग में प्यार बसाया।
भगिनी -पुत्री विविधि रूप बन जग-संसार रचाया।
आदिशक्ति सरस्वती औ गौरी, लक्ष्मी रूप सजाया।
राधा बन, कान्हा को नचाये, सारा जगत नचाया।
श्याम,कामिनी,सखी,प्रिया,प्रेयसि बन मन भरमाया॥
नारी सब जग तेरी छाया॥