
ये छः --कुण्डली छंद--डा श्याम गुप्त .....
कुण्डली छंद
चाहत है ऐश्वर्य की तो इन छः को त्याग,
निद्रा , तन्द्रा , क्रोध ,भय, आलस रूपी राग।
आलस रूपी राग, कार्य में देरी करना,
सबको दीजै त्याग, लोकहित रत यदि रहना।
इन दोषों को त्याग,श्याम श्रुति सम्मत मत है,
रिद्धि सिद्धि श्री की जीवन में जो चाहत है॥
चलें नीति व्यवहार पर, छः का करें न त्याग,
सत्य दान कर्मण्यता, धैर्य- भाव अनुराग।
धैर्य- भाव अनुराग, गुणों में दोष खोजना,
क्षमा भाव अति सुखद, फलित हों सभी योजना।
ये छः गुण हों साथ, श्याम' नित फूलें फलें ,
चाहें जो सुख शान्ति, नीति व्यवहार पर चलें ॥
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चाहत है ऐश्वर्य की तो इन छः को त्याग,
निद्रा , तन्द्रा , क्रोध ,भय, आलस रूपी राग।
आलस रूपी राग, कार्य में देरी करना,
सबको दीजै त्याग, लोकहित रत यदि रहना।
इन दोषों को त्याग,श्याम श्रुति सम्मत मत है,
रिद्धि सिद्धि श्री की जीवन में जो चाहत है॥
चलें नीति व्यवहार पर, छः का करें न त्याग,
सत्य दान कर्मण्यता, धैर्य- भाव अनुराग।
धैर्य- भाव अनुराग, गुणों में दोष खोजना,
क्षमा भाव अति सुखद, फलित हों सभी योजना।
ये छः गुण हों साथ, श्याम' नित फूलें फलें ,
चाहें जो सुख शान्ति, नीति व्यवहार पर चलें ॥