
ईशनिंदा रोकने के लिए LBA पर किसी धर्म का प्रचार न किया जाए ताकि उस पर कोई ऐसा सवाल न पूछ सके जो ईशनिंदा कहलाए Prevention is better than cure
सीधी सच्ची बात का विरोध क्यों ?
@ मिथिलेश जी ! मेरी गत पोस्ट में तो किसी भी आदमी को बुरा नहीं कहा गया है तो फिर किसको नीचा देखना पड़ गया है ?
इस पोस्ट में संयोजक जनाब सलीम ख़ान साहब की पोस्ट की वाहवाही मैंने ज़रूर की है, वह तुच्छ वाहवाही कैसे है ?
उनकी तारीफ़ से तो आपको ख़ुश होकर यह कहना चाहिए था कि हां , LBA के सभी सदस्यों को उनकी तरह ऐसे लेख लिखने चाहिएं जो दो और दो चार की तरह क्लियर हों और उनमें किसी धर्म के सिद्धांत और परंपराओं के हवाले न दिए जाएं । जिसे ऐसा करना हो वह अपने निजी ब्लाग पर ऐसा कर ले।
इसमें कौन सी बात किसको नीचा दिखा रही है भाई ?
मेरी पोस्ट में तो ईशनिंदा की परिस्थितियां उत्पन्न होने से रोकने के संबंध में विचार विमर्श किया गया है जैसा स्वयं भाई रवीन्द्र प्रभात जी (President, LBA) भी चाहते हैं।
मेरी सलाह से अच्छा सुझाव अगर किसी और के पास है तो वह बताए ?
आख़िर एक सही बात का भी विरोध आप क्यों कर रहे हैं ?
मैं तो आपके द्वारा कही गई बात को ही तो दोहरा रहा हूं।
आप कहें तो सही और वही बात हम कहें तो ग़लत ?
यह भेदभाव क्यों ?
एक माँ की तरह सबको एक समान प्रेम दीजिए जैसे कि देती है सदा एक प्यारी माँ
किसी ब्लागर को किसी भी विषय पर चर्चा करनी है तो मेरा ब्लाग भी उसके लिए हाजिर है , जिसे चर्चा के उद्देश्य से ही बनाया गया है।
http://charchashalimanch.blogspot.com
अभी इसकी सजावट का काम चल रहा है लेकिन जो भी चाहे और जब चाहे इसका सदस्य बन सकता है । हरेक ब्लागर और ग़ैर-ब्लागर का स्वागत है ।
विशेष नोट : भाई रवीन्द्र प्रभात जी की अपील अच्छी है लेकिन वे अपनी पोस्ट में बता रहे हैं कि वे कर्बला में पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब को मौजूद बता रहे हैं जो कि सरासर ग़लत है। वाक़या ए कर्बला इस्लामी इतिहास का सबसे ज़्यादा मशहूर वाक़या है जिसे हिंदुस्तान का हरेक बुद्धिजीवी जानता है लेकिन रविन्द्र जी नहीं जानते । इंटरनेट के युग में भी रविन्द्र जी को इस्लाम की ठीक नहीं है और वह सार्वजनिक रूप से इस्लाम के बारे में ग़लत जानकारी देकर भ्रम फैला रहे हैं । मैं उनसे सादर विनती करूंगा कि वे अविलंब अपनी पोस्ट का निरीक्षण करें और ग़लत जानकारी को तुरंत हटा दें ।
जहां भी और जो भी धर्म के बारे में ग़लत जानकारी देगा वहां अनवर जमाल ज़रूर टोकेगा ।
विचारणीय तथ्य : 1. भाई रविन्द्र जी हमारा शुक्रिया तो क्या अदा करते कि हमने उन्हें ज्ञान दिया बल्कि हमारी पोस्ट ही डिलीट कर दी बिना कोई कारण बताए।
2. क्या हमने अध्यक्ष जी को उनकी ग़लती बताकर कोई जुर्म कर डाला है ?
3. क्या अध्यक्ष जी को ख़ुश करने के लिए हम अपना इतिहास बदल डालें ?
4. क्या इसे अज्ञानता , संकीर्णता और अहंकार के अलावा कुछ और नाम दिया जा सकता है ?
5. क्या इसे वर्चुअल कम्युनलिज़्म का नाम दिया जा सकता है ?
इस पोस्ट पर दूसरे कमेंट्स के अलावा ख़ुद संयोजक सलीम ख़ान साहब का भी कमेंट मौजूद था जिसमें उन्होंने इतिहास के संबंध में रविन्द्र जी की ग़लती स्वीकारते हुए मेरा शुक्रिया भी अदा किया था। मेरी पोस्ट में कुछ भी आपत्तिजनक होता तो इस ब्लाग का संयोजक होने के नाते वह ख़ुद भी मिटा सकते थे लेकिन उन्होंने तो मिटाई नहीं और रविन्द्र जी ने मिटा डाली ।
6. क्या इसे अनवर जमाल के प्रति अन्याय के साथ साथ संयोजक जनाब सलीम ख़ान साहब का अपमान नहीं समझा जाएगा ?
7. क्या संयोजक के कमेंट की कोई वैल्यू ही नहीं है जबकि वह इस ब्लाग का निर्माता भी हो ?
अतः यह पोस्ट पुनः पेश की जाती है ।
Read More
@ मिथिलेश जी ! मेरी गत पोस्ट में तो किसी भी आदमी को बुरा नहीं कहा गया है तो फिर किसको नीचा देखना पड़ गया है ?
इस पोस्ट में संयोजक जनाब सलीम ख़ान साहब की पोस्ट की वाहवाही मैंने ज़रूर की है, वह तुच्छ वाहवाही कैसे है ?
उनकी तारीफ़ से तो आपको ख़ुश होकर यह कहना चाहिए था कि हां , LBA के सभी सदस्यों को उनकी तरह ऐसे लेख लिखने चाहिएं जो दो और दो चार की तरह क्लियर हों और उनमें किसी धर्म के सिद्धांत और परंपराओं के हवाले न दिए जाएं । जिसे ऐसा करना हो वह अपने निजी ब्लाग पर ऐसा कर ले।
इसमें कौन सी बात किसको नीचा दिखा रही है भाई ?
मेरी पोस्ट में तो ईशनिंदा की परिस्थितियां उत्पन्न होने से रोकने के संबंध में विचार विमर्श किया गया है जैसा स्वयं भाई रवीन्द्र प्रभात जी (President, LBA) भी चाहते हैं।
मेरी सलाह से अच्छा सुझाव अगर किसी और के पास है तो वह बताए ?
आख़िर एक सही बात का भी विरोध आप क्यों कर रहे हैं ?
मैं तो आपके द्वारा कही गई बात को ही तो दोहरा रहा हूं।
आप कहें तो सही और वही बात हम कहें तो ग़लत ?
यह भेदभाव क्यों ?
एक माँ की तरह सबको एक समान प्रेम दीजिए जैसे कि देती है सदा एक प्यारी माँ
किसी ब्लागर को किसी भी विषय पर चर्चा करनी है तो मेरा ब्लाग भी उसके लिए हाजिर है , जिसे चर्चा के उद्देश्य से ही बनाया गया है।
http://charchashalimanch.blogspot.com
अभी इसकी सजावट का काम चल रहा है लेकिन जो भी चाहे और जब चाहे इसका सदस्य बन सकता है । हरेक ब्लागर और ग़ैर-ब्लागर का स्वागत है ।
विशेष नोट : भाई रवीन्द्र प्रभात जी की अपील अच्छी है लेकिन वे अपनी पोस्ट में बता रहे हैं कि वे कर्बला में पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब को मौजूद बता रहे हैं जो कि सरासर ग़लत है। वाक़या ए कर्बला इस्लामी इतिहास का सबसे ज़्यादा मशहूर वाक़या है जिसे हिंदुस्तान का हरेक बुद्धिजीवी जानता है लेकिन रविन्द्र जी नहीं जानते । इंटरनेट के युग में भी रविन्द्र जी को इस्लाम की ठीक नहीं है और वह सार्वजनिक रूप से इस्लाम के बारे में ग़लत जानकारी देकर भ्रम फैला रहे हैं । मैं उनसे सादर विनती करूंगा कि वे अविलंब अपनी पोस्ट का निरीक्षण करें और ग़लत जानकारी को तुरंत हटा दें ।
जहां भी और जो भी धर्म के बारे में ग़लत जानकारी देगा वहां अनवर जमाल ज़रूर टोकेगा ।
विचारणीय तथ्य : 1. भाई रविन्द्र जी हमारा शुक्रिया तो क्या अदा करते कि हमने उन्हें ज्ञान दिया बल्कि हमारी पोस्ट ही डिलीट कर दी बिना कोई कारण बताए।
2. क्या हमने अध्यक्ष जी को उनकी ग़लती बताकर कोई जुर्म कर डाला है ?
3. क्या अध्यक्ष जी को ख़ुश करने के लिए हम अपना इतिहास बदल डालें ?
4. क्या इसे अज्ञानता , संकीर्णता और अहंकार के अलावा कुछ और नाम दिया जा सकता है ?
5. क्या इसे वर्चुअल कम्युनलिज़्म का नाम दिया जा सकता है ?
इस पोस्ट पर दूसरे कमेंट्स के अलावा ख़ुद संयोजक सलीम ख़ान साहब का भी कमेंट मौजूद था जिसमें उन्होंने इतिहास के संबंध में रविन्द्र जी की ग़लती स्वीकारते हुए मेरा शुक्रिया भी अदा किया था। मेरी पोस्ट में कुछ भी आपत्तिजनक होता तो इस ब्लाग का संयोजक होने के नाते वह ख़ुद भी मिटा सकते थे लेकिन उन्होंने तो मिटाई नहीं और रविन्द्र जी ने मिटा डाली ।
6. क्या इसे अनवर जमाल के प्रति अन्याय के साथ साथ संयोजक जनाब सलीम ख़ान साहब का अपमान नहीं समझा जाएगा ?
7. क्या संयोजक के कमेंट की कोई वैल्यू ही नहीं है जबकि वह इस ब्लाग का निर्माता भी हो ?
अतः यह पोस्ट पुनः पेश की जाती है ।