
नये ब्लॉगरो की नई सोच कितना तर्कसंगत ............... शिव शंकर
प्रिय भाई हरीश जी,
मान्यवर भाई हरीश,सलीम,अनवर जमाल जी, आप सभी भाईयो से अनुरोध है कि आप सब सामूहिक ब्लॉग UBA और LBA का रट लगाना छोड कर किसी और मुद्दे पर अपना ध्यान केंद्रित करे तो हिंदी ब्लॉग बनाने का जो उद्देश्य है कि लोगो को समाज में हो रही बुराईयो से रुबरु कराते हुए उसके निवारण के लिए अपनी अपनी राय देते हुए अपनी बुद्धिमता का परिचय दें और उस बुराई को समाप्त करने के लिए लोगो को जागरुक करें।समाज में ऐसे बहुत से मुद्दे है जिसकी चर्चा हम कर सकते हैं, लेकिन कुछ दिनो से इन सामूहिक ब्लॉग पर ऐसी ऐसी पोस्टे देखनो को मिल रही है कि लोग नया ब्लॉग बना कर कोई युद्द जीत लिया हो और लगातार लोगो को ये एहसास दिलाने का प्रयास कर रहे है कि हम एक परिवार के सदस्य है हमें कोई अलग नहीं कर सकता खुशी है कि आप अपने को उस ब्लॉग से अलग नहीं करना चाहते , लेकिन बार बार एक ही रट लगा कर आप सिद्ध क्या करना चाहते है ?
बिना किसी वजह के आप, लोगो को ये बताना चाह रहे है कि लोग आपको अलग करना चाहते है आप कि सदस्यता समाप्त करना चाहते है लेकिन ऐसी कोई सच्चाई नहीं है बस आप अपना झूठा प्यार लोगो को देखाना चाहते है कि आप जिसे अपना परिवार मानते है उससे आपको अलग किया जा रहा हैं। अगर आप LBA को अपना एक परिवार मानते है और उससे जुडा हर सख्स को आप अपना भाई तो उससे मिलता जुलता और जिस उद्देश्य के लिए LBA
बनाया गया था सम्भवतः वही उद्देश्य से आपने भी एक नया ब्लॉग बनाया है। लेकिन आप ये बताये कि आप LBA
में रहकर भी कार्य कर सकते थे, लेकिन आपने एक नया ब्लॉग बनाना उचित समझा । अगर ये कहां जाए कि आपका नया ब्लॉग बनाने के पिछे जो उद्देश्य था वो केवल व केवल संस्थापक व संयोजक बन कर लोगो को ये देखाना कि आप भी एक सामूहिक ब्लॉग के जन्मदाता है। कही गई ये बात तर्कसंगत लग रही है।
हरीश जी ,ने कई बार अपने पोस्ट में अनवर जमाल जी को अपना बडा भाई कहकर सम्बोधित किया है मैं भी अनवर जमाल जी को एक बडा भाई के साथ-साथ एक अच्छा इंसान मानता हूं लेकिन बार-बार यही रट की आप मेरे बडे भाई है आपकी इज्जत करता हूं समझ से परे है कि ये कथन बार बार दोहरा कर लोगो को क्या इशारा कर रहे है। जमाल जी के एक छोटी सी कही बात पर एक पोस्ट लगाकर ये बताया जाता है कि आपका कितना सम्मान करता हूं आपको बडा भई मानता हूं ,अगर वे सम्मान कर रहे है तो दिल से करे लोगो को बता कर कुछ न मिलेगा ।
जहां तक लगता है कि वे एक लोग को मिलाकर दूसरे के खिलाफ मोर्चा छेड कर लोगो का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करना चाहते है। हरीश भाई कि दिली इच्छा है कि मुझे सलीम भाई अलग करे और मै लोगो के सामने सिद्ध कर सकूं की मै भी ब्लॉग जगत में एक हैसियत रखता हूं और अपना कद ब्लॉग जगत में उचा कर सकूं लेकिन ऐसी धारणा पालने से कुछ न होने वाला अपनी सोच बदलने की आवश्यकता है।
मैं उम्मीद करता हूं कि आगे अपने अपने ब्लॉग की चर्चा न करते हुए, एक जानकारी से भरी पोस्ट देखने को मिलें।
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मान्यवर भाई हरीश,सलीम,अनवर जमाल जी, आप सभी भाईयो से अनुरोध है कि आप सब सामूहिक ब्लॉग UBA और LBA का रट लगाना छोड कर किसी और मुद्दे पर अपना ध्यान केंद्रित करे तो हिंदी ब्लॉग बनाने का जो उद्देश्य है कि लोगो को समाज में हो रही बुराईयो से रुबरु कराते हुए उसके निवारण के लिए अपनी अपनी राय देते हुए अपनी बुद्धिमता का परिचय दें और उस बुराई को समाप्त करने के लिए लोगो को जागरुक करें।समाज में ऐसे बहुत से मुद्दे है जिसकी चर्चा हम कर सकते हैं, लेकिन कुछ दिनो से इन सामूहिक ब्लॉग पर ऐसी ऐसी पोस्टे देखनो को मिल रही है कि लोग नया ब्लॉग बना कर कोई युद्द जीत लिया हो और लगातार लोगो को ये एहसास दिलाने का प्रयास कर रहे है कि हम एक परिवार के सदस्य है हमें कोई अलग नहीं कर सकता खुशी है कि आप अपने को उस ब्लॉग से अलग नहीं करना चाहते , लेकिन बार बार एक ही रट लगा कर आप सिद्ध क्या करना चाहते है ?
बिना किसी वजह के आप, लोगो को ये बताना चाह रहे है कि लोग आपको अलग करना चाहते है आप कि सदस्यता समाप्त करना चाहते है लेकिन ऐसी कोई सच्चाई नहीं है बस आप अपना झूठा प्यार लोगो को देखाना चाहते है कि आप जिसे अपना परिवार मानते है उससे आपको अलग किया जा रहा हैं। अगर आप LBA को अपना एक परिवार मानते है और उससे जुडा हर सख्स को आप अपना भाई तो उससे मिलता जुलता और जिस उद्देश्य के लिए LBA
बनाया गया था सम्भवतः वही उद्देश्य से आपने भी एक नया ब्लॉग बनाया है। लेकिन आप ये बताये कि आप LBA
में रहकर भी कार्य कर सकते थे, लेकिन आपने एक नया ब्लॉग बनाना उचित समझा । अगर ये कहां जाए कि आपका नया ब्लॉग बनाने के पिछे जो उद्देश्य था वो केवल व केवल संस्थापक व संयोजक बन कर लोगो को ये देखाना कि आप भी एक सामूहिक ब्लॉग के जन्मदाता है। कही गई ये बात तर्कसंगत लग रही है।
हरीश जी ,ने कई बार अपने पोस्ट में अनवर जमाल जी को अपना बडा भाई कहकर सम्बोधित किया है मैं भी अनवर जमाल जी को एक बडा भाई के साथ-साथ एक अच्छा इंसान मानता हूं लेकिन बार-बार यही रट की आप मेरे बडे भाई है आपकी इज्जत करता हूं समझ से परे है कि ये कथन बार बार दोहरा कर लोगो को क्या इशारा कर रहे है। जमाल जी के एक छोटी सी कही बात पर एक पोस्ट लगाकर ये बताया जाता है कि आपका कितना सम्मान करता हूं आपको बडा भई मानता हूं ,अगर वे सम्मान कर रहे है तो दिल से करे लोगो को बता कर कुछ न मिलेगा ।
जहां तक लगता है कि वे एक लोग को मिलाकर दूसरे के खिलाफ मोर्चा छेड कर लोगो का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करना चाहते है। हरीश भाई कि दिली इच्छा है कि मुझे सलीम भाई अलग करे और मै लोगो के सामने सिद्ध कर सकूं की मै भी ब्लॉग जगत में एक हैसियत रखता हूं और अपना कद ब्लॉग जगत में उचा कर सकूं लेकिन ऐसी धारणा पालने से कुछ न होने वाला अपनी सोच बदलने की आवश्यकता है।
मैं उम्मीद करता हूं कि आगे अपने अपने ब्लॉग की चर्चा न करते हुए, एक जानकारी से भरी पोस्ट देखने को मिलें।