अजनबी सी दुनिया में, अकेला इक ख्वाब हूँ.

अजनबी सी दुनिया में,
अकेला इक ख्वाब हूँ.सवालों से खफ़ा,
चोट सा जवाब हूँ.जो ना समझ सके,
उनके लिये “कौन”.जो समझ चुके,
उनके लिये किताब हूँ.दुनिया कि नज़रों में,
जाने क्युं चुभा सा.सबसे नशीला
और बदनाम शराब हूँ.सर उठा के देखो,
वो देख रहा है तुमको.जिसको न देखा उसने,
वो चमकता आफ़ताब हूँ.आँखों से देखोगे,
तो खुश मुझे पाओगे.दिल से पूछोगे,
तो दर्द का सैलाब हूँ.आज एक बार
सबसे मुस्करा के बात करो
बिताये हुये पलों को साथ साथ याद करो
क्या पता कल चेहरे को मुस्कुराना
और दिमाग को पुराने पल याद हो ना हो
आज एक बार फ़िर पुरानी बातो मे खो जाओ
आज एक बार फ़िर पुरानी यादो मे डूब जाओ
क्या पता कल ये बाते
और ये यादें हो ना हो
बारीश मे आज खुब भीगो
झुम झुम के बचपन की तरह नाचो
क्या पता बीते हुये बचपन की तरह
कल ये बारीश भी हो ना हो
आज एक बार चैन की नीन्द सो जाओ
आज कोई अच्छा सा सपना भी देखो
क्या पता कल जिन्दगी मे चैन
और आखों मे कोई सपना हो ना हो
with thanks to the unknown poet.