
एनआरएचएम का भूत !
उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन ( एन आर एच एम ) घोटाले में सबसे अधिक शक्तिशाली लोगों को बचाने के लिए कितनी बलियां चढ़ चुकी हें और नतीजे पर पहुंचना अभी बाकी है। सी बी आई के हाथ में आने पर भी मामले के बहुत से आरोपी आज इस जांच की हद से बाहर है।
इस मामले में जांच के चलने के बावजूद दवा सप्लाई के काम को अंजाम दिया जा रहा है और वह भी उन लोगों को जो इसमें शक के दायरे में आ रहे हें। उत्तर प्रदेश सरकार का दिमाग जितनी तेजी से काम करता है उतनी ही तेजी और सफाई से अपराधियों और दागियों के कर्मों पर पर्दा डालने के लिए औरों को बलि का बकरा बना देती है। उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व स्वास्थ्य मंत्री अनंत कुमार मिश्र मामले के संज्ञान में आते ही पद से इस्तीफा देकर निकाल लिए और सोचा कि बहनजी का वरदहस्त तो है ही अगले चुनाव में खुद न सही पत्नी को आगे बढ़ा दिया और वे चुनाव लड़ने के लिए चुनी गयी।
अब तक सी बी आई ने इतनी सारी जांचें की और इतनी हत्या और आत्महत्याओं के बाद भी इन भूतपूर्व स्वास्थ्य मंत्री जी का नाम कहीं भी नहीं आया था। जब कि ये एक साधारण व्यक्ति भी बता सकता है कि जो हमारे यहाँ शासन और प्रशासन का चलन है उसके चलते विभाग का मंत्री कैसे अछूता रह सकता है? अब जाकर सी बी आई को कुछ बुद्धि आई कि ये मंत्री भी पूछताछ के लिए सही हो सकते हें। ये घोटाला एक ऐसी खाई है कि इसको जितना ही गहरे खोदते जायेंगे उतने लोग इसमें दफन होते जा रहे हें और इसके जांच की आंच जिन जिन लोगों के पास पहुंचेगी उससे से जुड़े हुए लोग उसमें डूबते और तैरते नजर आयेंगे। अगर इस काण्ड में ये पूर्व स्वास्थ्य मंत्री इसकी आंच से बच जाते हें तो ये खुले आम कहा जाएगा कि ऐसा संभव ही नहीं है। पेड़ जैसे महान तो वे हो नहीं सकते हें कि उसकी छाया में कितने ही बैठे रहें उसको कुछ नहीं चाहिए होता है। ये राजनीति के देवता है कि इन पर चढ़ौती चढ़ाये बिना कुछ संभव ही नहीं है। ये बराबर के दोषी हें और इन हो रही हत्यायों और आत्महत्याओं में बराबर के दोषी माने जायेंगे।
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इस मामले में जांच के चलने के बावजूद दवा सप्लाई के काम को अंजाम दिया जा रहा है और वह भी उन लोगों को जो इसमें शक के दायरे में आ रहे हें। उत्तर प्रदेश सरकार का दिमाग जितनी तेजी से काम करता है उतनी ही तेजी और सफाई से अपराधियों और दागियों के कर्मों पर पर्दा डालने के लिए औरों को बलि का बकरा बना देती है। उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व स्वास्थ्य मंत्री अनंत कुमार मिश्र मामले के संज्ञान में आते ही पद से इस्तीफा देकर निकाल लिए और सोचा कि बहनजी का वरदहस्त तो है ही अगले चुनाव में खुद न सही पत्नी को आगे बढ़ा दिया और वे चुनाव लड़ने के लिए चुनी गयी।
अब तक सी बी आई ने इतनी सारी जांचें की और इतनी हत्या और आत्महत्याओं के बाद भी इन भूतपूर्व स्वास्थ्य मंत्री जी का नाम कहीं भी नहीं आया था। जब कि ये एक साधारण व्यक्ति भी बता सकता है कि जो हमारे यहाँ शासन और प्रशासन का चलन है उसके चलते विभाग का मंत्री कैसे अछूता रह सकता है? अब जाकर सी बी आई को कुछ बुद्धि आई कि ये मंत्री भी पूछताछ के लिए सही हो सकते हें। ये घोटाला एक ऐसी खाई है कि इसको जितना ही गहरे खोदते जायेंगे उतने लोग इसमें दफन होते जा रहे हें और इसके जांच की आंच जिन जिन लोगों के पास पहुंचेगी उससे से जुड़े हुए लोग उसमें डूबते और तैरते नजर आयेंगे। अगर इस काण्ड में ये पूर्व स्वास्थ्य मंत्री इसकी आंच से बच जाते हें तो ये खुले आम कहा जाएगा कि ऐसा संभव ही नहीं है। पेड़ जैसे महान तो वे हो नहीं सकते हें कि उसकी छाया में कितने ही बैठे रहें उसको कुछ नहीं चाहिए होता है। ये राजनीति के देवता है कि इन पर चढ़ौती चढ़ाये बिना कुछ संभव ही नहीं है। ये बराबर के दोषी हें और इन हो रही हत्यायों और आत्महत्याओं में बराबर के दोषी माने जायेंगे।