
चला जारहा मौन ... .डा श्याम गुप्त की कविता .......
चला जारहा मौन
कमर झुकाए लाठी टेके
तन पर धोती एक लपेटे|
नंगे पैरों कठिन मार्ग पर ,
चलाजारहा कौन -
चला जारहा मौन ||
रघुपति राघव राजा राम ,
पतित-पावन सीता राम |
मधुरिम स्वर लहरी में गाता ,
चला जारहा मौन,
चला जारहा कौन ||
पत्थर पर पद चिन्ह बनाता ,
आज़ादी की राह दिखाता|
सारा जग है जिसके पीछे ,
चला जारहा मौन,
चला जारहा कौन ||
ये तो अपने राष्ट्र पिता हैं ,
ये तो अरे महात्मा गांधी|
ये तो विश्व पूज्य बापू हैं,
ये तो रे इस युग की आंधी |
हम सबको है एक्य सिखाता,
चला जारहा मौन ,
चलाजारहा मौन |
कमर झुकाए लाठी टेके
तन पर धोती एक लपेटे|
नंगे पैरों कठिन मार्ग पर ,
चलाजारहा कौन -
चला जारहा मौन ||
रघुपति राघव राजा राम ,
पतित-पावन सीता राम |
मधुरिम स्वर लहरी में गाता ,
चला जारहा मौन,
चला जारहा कौन ||
पत्थर पर पद चिन्ह बनाता ,
आज़ादी की राह दिखाता|
सारा जग है जिसके पीछे ,
चला जारहा मौन,
चला जारहा कौन ||
ये तो अपने राष्ट्र पिता हैं ,
ये तो अरे महात्मा गांधी|
ये तो विश्व पूज्य बापू हैं,
ये तो रे इस युग की आंधी |
हम सबको है एक्य सिखाता,
चला जारहा मौन ,
चलाजारहा मौन |