
प्रीति वही ..पंचक श्याम सवैया ...
प्रीति वही जो होय लला सों, जसुमति-सुत कान्हा बनवारी ।
रीति वही जो निभाई लला, भये दीननि के दुःख में दुखहारी।
नीति वही जो सुहाई लला, दई ऊधो को शुचि-सीख सुखारी ।
सीख वही दई गोपिन को ,करे चीर हरण गोवर्धन धारी।
जीत वही हो धर्म की जीत,रहें संग माधव-कृष्ण मुरारी॥
शक्ति वही जो दिखाई कान्ह, गिरि गोवर्धन उंगली पै धारो।
उक्ति वही जो रचाई कान्ह,'करो नर कर्म न फल को विचारों'।
युक्ति वही जो निभाई कान्ह,दुःख-दारिद ग्राम व देश को टारो।
भक्ति वही जो सिखाई कान्ह,जब ऊधो को ज्ञान-अहं से उबारो।
तृप्ति वही श्री कृष्ण भजे , भजे राधा-गोबिंद सो नाम पियारो॥
हारि वही, हारे घनश्याम, तजे रण द्वारिका धाम सिधाए।
हार वही वैजन्ती माल, लगे गल श्याम के अंग सुहाए।
रार वही जो मचाई श्याम,जो गोपिन गोप सखा मन भाये।
नार वही हरि अयन जहां,करि शयन ते नारायन कहलाये।
नारि वही वृषभानु लली, जेहि श्याम सखा मन मीत बनाए॥
नीर वही जो बहाए श्याम, लखि कंटक पांय सुदामा-सखा के।
पीर वही जो सही उर मांहि, भई बृज छोडत राधा-सखा के।
धीर वही जो धरे उर धीर, धरी राधा, गए श्यामसखा के ।
तीर वही प्रण देय भुलाय, कर शस्त्र गहाय जो पार्थ-सखा के।
वीर वही नर त्यागे जग,हो राह में भक्ति की द्रुपदि-सखा के॥
Read More
रीति वही जो निभाई लला, भये दीननि के दुःख में दुखहारी।
नीति वही जो सुहाई लला, दई ऊधो को शुचि-सीख सुखारी ।
सीख वही दई गोपिन को ,करे चीर हरण गोवर्धन धारी।
जीत वही हो धर्म की जीत,रहें संग माधव-कृष्ण मुरारी॥
शक्ति वही जो दिखाई कान्ह, गिरि गोवर्धन उंगली पै धारो।
उक्ति वही जो रचाई कान्ह,'करो नर कर्म न फल को विचारों'।
युक्ति वही जो निभाई कान्ह,दुःख-दारिद ग्राम व देश को टारो।
भक्ति वही जो सिखाई कान्ह,जब ऊधो को ज्ञान-अहं से उबारो।
तृप्ति वही श्री कृष्ण भजे , भजे राधा-गोबिंद सो नाम पियारो॥
हारि वही, हारे घनश्याम, तजे रण द्वारिका धाम सिधाए।
हार वही वैजन्ती माल, लगे गल श्याम के अंग सुहाए।
रार वही जो मचाई श्याम,जो गोपिन गोप सखा मन भाये।
नार वही हरि अयन जहां,करि शयन ते नारायन कहलाये।
नारि वही वृषभानु लली, जेहि श्याम सखा मन मीत बनाए॥
नीर वही जो बहाए श्याम, लखि कंटक पांय सुदामा-सखा के।
पीर वही जो सही उर मांहि, भई बृज छोडत राधा-सखा के।
धीर वही जो धरे उर धीर, धरी राधा, गए श्यामसखा के ।
तीर वही प्रण देय भुलाय, कर शस्त्र गहाय जो पार्थ-सखा के।
वीर वही नर त्यागे जग,हो राह में भक्ति की द्रुपदि-सखा के॥