
सखी तेरी पायल की झन्कार ....डा श्याम गुप्त का गीत......
सखी तेरी पायल की झंकार ||
नाच उठा मन मोर ,
सज गया सपनों का संसार |
प्रेम बांसुरी बजी ह्रदय में ,
झूम उठा घर-द्वार |
सखी तेरी पायल की झंकार ||
झनक-झनक पैजनियाँ बोले,
सारे भेद जिया के खोले |
जैसे हो कान्हा की वंशी,
छेड़े मन के तार |
सखी तेरी पायल की झंकार ||
जब जब हो पायल की छन छन
तडपे प्रेम विरह घायल मन,
दूर देश से जैसे कोई ,
आई प्रेम पुकार |
सखी तेरी पायल की झंकार |
छत बैठक घर मंदिर आँगन
छलकाए रस पायल छन छन-
आतप मैं जैसे श्यामल घन-
छेड़े राग मल्हार |
सखी तेरी पायल की झन्कार ||
मेरे मन की विरह-पीर को,
तेरी पायल कब समझेगी|
प्रीति भरे इस मन आँगन में,
बैरन पायल कब छनकेगी|
मैं तो हार गया हूँ सजनी-
कर कर के मनुहार |
सखी तेरी पायल की झन्कार ||
नाच उठा मन मोर ,
सज गया सपनों का संसार |
प्रेम बांसुरी बजी ह्रदय में ,
झूम उठा घर-द्वार |
सखी तेरी पायल की झंकार ||
झनक-झनक पैजनियाँ बोले,
सारे भेद जिया के खोले |
जैसे हो कान्हा की वंशी,
छेड़े मन के तार |
सखी तेरी पायल की झंकार ||
जब जब हो पायल की छन छन
तडपे प्रेम विरह घायल मन,
दूर देश से जैसे कोई ,
आई प्रेम पुकार |
सखी तेरी पायल की झंकार |
छत बैठक घर मंदिर आँगन
छलकाए रस पायल छन छन-
आतप मैं जैसे श्यामल घन-
छेड़े राग मल्हार |
सखी तेरी पायल की झन्कार ||
मेरे मन की विरह-पीर को,
तेरी पायल कब समझेगी|
प्रीति भरे इस मन आँगन में,
बैरन पायल कब छनकेगी|
मैं तो हार गया हूँ सजनी-
कर कर के मनुहार |
सखी तेरी पायल की झन्कार ||